तब भी साथ निभाऊंगी

तब भी साथ निभाऊंगी मैं

नाम पुकारो आऊंगी मैं

तब भी जब सबसे मुश्किल हो

तब भी जब मुश्किल में दिल हो

तब भी जब कुछ समझ ना आए

तब भी जब दिल बैठा जाये

तब भी जब उल्टी लहरें हों

घोर निराशा के पहरे हों

तब भी जब तुम सह ना पाओ

कुछ कहना हो कह ना पाओ

तब भी जब मन भारी सा हो

हर एक लम्हा आरी सा हो

तब भी जब राहें डगमग हों

कांटे राहों में पग पग हों

तब भी जब सब दोस्त दूर हों

आशाएं सब चूर-चूर हों

तब भी जब सबसे नाराजी

लगती हो सब हारी बाज़ी

तब भी साथ निभाऊंगी मैं

नाम पुकारो आऊंगी मैं

सुख के बादल छाएंगे जब

समृद्धि घर आएगी जब

खुशियों से नैन सजल होंगे

बाहों में नभ और थल होंगे

जब तुम मुस्काओगे जी भर

बरसाएगा तारे अंबर

तब भी साथ निभाऊंगी मैं

नाम पुकारो आऊंगी मैं

नाम पुकारो आऊंगी मैं।

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